सुप्रीम कोर्ट ने 25 वर्षीय छात्रा के खिलाफ बलात्कार के मामले को खारिज कर दिया क्योंकि महिला का आरोपी के साथ विवाहेतर संबंध था और उसने अपने पति को तलाक नहीं दिया था। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को भी खारिज कर दिया जिसमें एफआईआर रद्द करने की अपील की गई थी।
नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने 25 वर्षीय छात्रा के खिलाफ बलात्कार के मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि आरोप लगाने वाली महिला का आरोपी के साथ विवाहेतर संबंध था। कोर्ट ने कहा कि महिला ने संबंध के दौरान अपने पति को तलाक नहीं दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को भी खारिज कर दिया जिसमें आरोपी ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की अपील की थी और हाईकोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था।
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शीर्ष अदालत ने कहा कि यह शादी का लालच देकर बलात्कार का मामला नहीं बनता है। अपने पति और बेटे के साथ रहती थी महिला दरअसल एक महिला ने आरोप लगाया कि उस समय कॉलेज में पढ़ रहा आरोपी अपने कुछ दोस्तों के साथ उसी जगह रहता था जहां वह अपने 4 साल के बेटे और पति के साथ रहती थी। इस दौरान महिला और आरोपी की जान-पहचान हुई और दोनों के बीच शारीरिक संबंध बन गए।
महिला ने आरोप लगाया कि व्यक्ति ने पहले उससे शादी का वादा किया और कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। लेकिन बाद में शादी करने से इनकार कर दिया। जुलाई 2023 में सतारा थाने में एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज किया गया था।
छात्रा पर बलात्कार का आरोप
एफआईआर के मुताबिक, महिला ने कहा कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसे अलग-अलग लॉज में ले जाकर उसके साथ बलात्कार किया, पैसे उधार लिए और उसकी कार का भी इस्तेमाल किया। हालांकि, बाद में अलग-अलग धर्म का हवाला देते हुए उसने शादी करने से इनकार कर दिया और सभी संपर्क खत्म कर दिए।
हालांकि, आरोपी ने दलील दी कि महिला ने ही संबंध शुरू किए थे और उसने उसे धमकाया भी था। आरोपी एफआईआर को खारिज करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा था और वहां से निराश होकर वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया।
पति से तलाक नहीं लिया था
जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने कहा कि महिला लंबे समय से आरोपी के साथ रिलेशनशिप में थी। इस दौरान उसका तलाक भी नहीं हुआ था। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के साथ लॉज में जाकर संबंध बनाने का फैसला इस दावे को खारिज करता है कि उसे मजबूर किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला पहले से ही किसी और की पत्नी थी, इसलिए यह सवाल ही नहीं उठता कि उसे शादी का लालच देकर संबंध बनाने के लिए मजबूर किया गया। बेंच ने कहा कि महिला ने विवाहेतर संबंध शुरू होने के करीब 6 महीने बाद तलाक ले लिया था। इसलिए व्यक्ति के खिलाफ मामला नहीं बनता।